बहुत सुन्दर फिल्म, न कोई अतिरेक, न कोई उग्रता...जो इस तरह हुआ, उसे संतुलित अंदाज़ में बिना किसी पक्षपात के दिखाया गया है| 4 लाख लोगों का पलायन और कोई शोर-शराबा नहीं दिल्ली में, यह बात सचमुच हैरान करती है| आदिल और सादिया के बेहतरीन अभिनय और इरशाद कामिल के खूबसूरत बोलों से सजी यह फिल्म हरेक को देखनी चाहिए| सुन्दर प्रेमकथा जो दिल को छू जाती है|