गुलाबो सिताबो फ़ीचर फ़िल्म वास्तव में पुनः इस बात की पुष्टि करती है कि स्वार्थ और लोभ की बुनियाद पर टिके किसी भी रिश्ते की उम्र बहुत लम्बी नहीं होती चाहे वह रिश्ता मियाँ बीबी का ही क्यों न हो। रिश्ते सदा कसौटी पर खरे होते हैं उनमे स्वार्थ और लोभ की रंच मात्र भी गुंजाइश नहीं होती। अमिताभ बच्चन ने मिर्ज़ा का जो किरदार प्रस्तुत किया है वह क़ाबिले तारीफ़ है इस फ़िल्म को देखकर लखनऊ के नवाबों के रहन सहन के बारे में आप कल्पना कर सकते हैं। कुल मिलाकर फ़िल्म एक उत्कृष्ट अभिनय का नमूना है