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जब यह देखते हैं, तब पता चलता है कि विदेशी अक्रांता सबसे पहले सभ्यता और साहित्य पर हमला क्यों करते हैं! हजारों सालों के इतिहास में केवल हजार साल की गुलामी ही पढाते है, गौरव शाली इतिहास पर मौन हो जाते हैं! रही कसर मार्क्सवादियों ने पूरी कर दी!