ये बिल्कुल भी रोहित शेट्टी के लेबल की फ़िल्म नही है । निहायत बचकानी और फालतू फ़िल्म है । कोई कहानी नही , सभी की एक्टिंग बहुत नाटकीय । सब कुछ किसी वीडियो गेम जैसा चल रहा था । आतंकवादी सब बात मान रहे थे । शायद नुक्कड़ नाटक ज्यादा प्रभावी होगा । इतने महत्वपूर्ण कांड पर इतनी बकवास फ़िल्म शायद ही कोई होगी