‘खुदा हाफिज़’ सरप्राइज़िंग तरीके से खुद को लियाम नीशन की ‘टेकेन’ और टाइगर श्रॉफ की ‘बागी 3’ के बीच जो बड़ी सी खाई बचती है, उसमें फिट कर लेती है. क्योंकि इन तीनों फिल्मों का बेसिक प्लॉट कमोबेश एक सा ही है. नायक के परिवार का एक अहम सदस्य घर से दूर संदेहास्पद स्थिति में गायब हो जाता है. पूरी फिल्म उन्हें ढूंढने में निकलती है. ‘टेकेन’ जहां इमोशन और एक्शन दोनों का स्तर काफी ऊपर तक ले जाती है, वहीं ‘बागी 3’ महज़ एक्शन तक सिमट कर रह जाती है. इमोशन और एक्शन दोनों को बैलेंस करने का काम ‘खुदा हाफिज़’ करती है. हालांकि ये करके ये कोई महान फिल्म नहीं बन जाती. मगर ट्रेलर से जो वादा किया था, उसे पूरा करती है.