फिल्म शुरू के एक घंटा वर्तमान राजनीति पर प्रश्न करती एक कहानी से बंधी दिखती है और खूब सिटी तालियां बटोरती है। इसके बाद कहानी को अनावश्यक मोड़ देकर vfx का प्रयोग करके केवल शाहरुख को डबल एक्शन में बता कर सुपर एक्शन हीरो बताने की कोशिश की है। पिता के रोल में शाहरुख ने अच्छा किया पर शाहरुख को चॉकलेटी दिखाने की कोशिश बिल्कुल स्क्रिप्ट के खिलाफ दिखी।
अविश्वसनीय दक्षिण फिल्मों की स्टाइल में एक्शन दिखाए।हॉल से निकलते युवाओं के मुंह से "अझेल" "बकवास" "लुट गए" जैसे शब्द सुने गए।
जेल के अंदर गाने और फाइट दृश्य बचकाने हैं और कॉलेज के लगते हैं।
फिल्म में नायिका के तौर पर नयनतारा एक्शन लेडी के रूप में भी अच्छी साबित हुई है।
संजय दत्त की एंट्री बेहद हास्यपद है जिनकी आवश्यकता ही नहीं है। फिल्म को इंटरवल तक देखा जा सकता है।