आज़ादी के बाद से ही राजकीय और धार्मिक विचारों में तब्दीली शुरू हुई जिस्से समाज "हम" और "वो" की दीवार मे बट ने लगा । एक दूसरे के प्रत्ये इतने संशय हो गये कि एक दूसरे के अंदर के कट्टर तत्वों ने धार्मिक विचारों की एकता को खंडित करनेके प्रचार प्रसार किया जिस्से एक दूसरे को भय भीत बनाया और धार्मिकता के नाम पे उकसा के crime की नींव डाली । action, reaction का नही थमने वाला सिलसिला शरू हुवा । बरसों पुरानी गंगा जमना की तहज़ीब को धक्का लगा । मुकद्दमेमें समाज का प्रेज्यूडिस चेहरा दिखाय दिया। और अदालत ने ऑफ थे रिकॉर्ड जो इंसाफ दिया सब हिंदुस्तानियों के लिये आंखे खोलनेवाला है। हर हिंदुस्तानी को इस फ़िल्म से बोध लेने की ज़रूरत है। जिस्से एक दूसरे के लिये कड़वाहट कम करने में ज़रूर ये मूवी का message बन सकता है ।