मनोज बाजपेयी की अब तक कि सबसे खराब, बेसिरपैर, महाबोरिंग, असहनीय, अझेल और न जाने ऐसे कितने ही निम्न स्तर के शब्द इस फ़िल्म के लिए लागू होते हैं।
हम तो मनोज बाजपेयी के नाम से देखने चले गए और इतना पछताए की पैसा बर्बाद हो गया।
बाजपेयी जी ज़रा सोंच समझ कर फिल्में साइन किया करो नहीं तो अब आगे से तुम्हारी कोई भी फ़िल्म पैसा खर्च करके तो नहीं देखेंगे।
मजबूरी में 1 स्टार पर क्लिक करना पड़ा हकीकत में तो ये फ़िल्म स्टार नहीं बल्कि कूड़े के ढेर के समान है।