इस किताब को पढ़ने के बाद ,,एक बात समझ आई,,,जी **जिंदगी में हर किसी को हां,,मत कहें,,, हो सके तो तुरंत ना कहना सीखे,,,,*और जैसा की किताब का नाम है मुसाफिर कैफे,,,इस तर्ज पर आप चाहें तो मुसाफिर कैफे नाम से,,,अपना टी स्टॉल खोलने का मार्ग मिलता है,,,,जिन लोगों ने गुनाहों का देवता पढ़ी है।,,,धर्मवीर भारती की,,,उन्हें इसे पढ़ने पर वही आनंद जरूर आयेगा।।।,,चंदर और सुधा।।।।,,अच्छी प्रेम कहानी,,,, इन शब्दों के साथ,,,सादर प्रणाम,,,जय सिया राम जी की।।