स्त्री फ़िल्म समाज के लोगों के लिए एक हॉरर व कॉमेडी फिल्म है परंतु यदि इस फ़िल्म को ध्यान से देखा जाए तो हमें ज्ञात होता है कि यह मात्र कॉमेडी फिल्म न होकर मनुष्य अर्थात स्त्रियों को झिंझोड़ कर रख देने वाली फिल्म है। इस फ़िल्म के माध्यम से बताया गया है कि किस प्रकार यह समाज स्त्री को छल सकता है। इस फ़िल्म में स्त्री को पढ़ा लिखा दिया है परंतु पढ़ लिख कर भी उसे छला जा रहा है "ओ स्त्री कल आना" इस बात का प्रमाण है कि यह समाज स्त्री को पढ़ने लिखने की अनुमति तो दे देता है परंतु उसका शोषण करना नहीं छोड़ना चाहता। यहाँ स्त्री को कल आना कहके गुमराह किया जाता है और वह समाज के इस छल को समझने में असमर्थ होती है।फ़िल्म में हंसी मजाक काफी हद तक देखने को मिलता है पररन्तु इस फ़िल्म में एक गंभीर बात छुपी है जो समाज की प्रत्येक स्त्री को बताता है कि किस प्रकार यह समाज उसे छल रहा है।