आज कल ऐसी साफ सुथरी फिल्में बनना बन्द हो गई हैं। बड़े दिनों के बाद कुछ अच्छा देखा वरना अब तो फिल्मों का मतलब गाली गलौच और अपशब्द हो गया है। फिल्मी दुनिया समाज का आईना है कृपया इसे साफ और एक दिशा दिखाने वाला रखें। नीना जी का जवाब नही सच कहूँ तो सारे कलाकार अपनी जगह बहुत अच्छे हैं। कहानी न जाने कितने लोगो की कहानी है जिन्होंने बंटवारे का दर्द सहा है।
कुल मिलाकर फिल्म दिल को छू गई। धन्यवाद