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मंदिर मस्जिद बैर कराते, मेल करती मधुशाला... रूबाइयों के जहां में खो जाईये... कभी ना छन भर खाली होगा, लाख पिये दो लाख पिये... अद्भुत काव्यशाला...यही मेरी पहली पाठशाला हैं... यही से लिखना और डूबना सिख हैं. सादर नमन!!!💐