TheKeralaStory को दो हिस्सों में देखा जाना चाहिए।एक धर्मान्तरण का हिस्सा और दूसरा आइ एस आइ एस के उद्देश्य के काम आने सीरिया भेजे जाने का। वास्तव में सीरिया भेजे जाने वाले हिस्से से जहां सिर्फ केरल रिलेट कर सकता है।धर्मान्तरण वाला हिस्सा आज पूरा देश झेल रहा है।पहले योजनाबद्ध तरीके से दूसरे धर्म की लडकियों से निकटता बढा कर उसके मन में बार बार अपने धर्म के प्रति संशय या अविश्वास भरा जाता है, फिर अपने भाई या कजिन कह कथित अच्छे दिखने वाले मुस्लिम लडकों से उनका मेलजोल बढाया जाता है,और फिर दवा के सहारे उनकी मनासिक स्थिति कमजोर की जाती है।अंततः ईस्लाम कबूल करने के लिए तैयार किया जाता है।यह कोई काल्पनिक कथा नहीं,नाम अलग अलग हों,ऐसी घटनाएं तो हर शहर में घट रही है।बहुत सारे सच्चे प्यार की कथा भी हो,लेकिन सूटकेश और फ्रीज में लाशें भी तो ऐसी ही घटनाओं से निकल रही हैं।इसीलिए जो इस फिल्म का तथ्य और आंकडों पर विरोध कर रहे हैं,उन्हें यह बताना चाहिए,कोई भी एक घटना सही है कि नहीं,फिल्म में तो एक शालिनी की ही कथा है न। जो इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं,माना जा सकता है वे धोखे देकर प्यार और फिर धर्मपरिवर्तन के लिए बाध्य करने की प्रवृति के साथ हैं।मेरा मानना है कि यह सिर्फ हिंदू मुस्लिम का मामला नहीं।सभी धर्मों की कच्ची समझ वाली लडकियां ऐसे दुष्चक्र में फंस सकते हैं।इसे किसी टेक्स्ट बुक की तरह देखा जाना चाहिए।हां,पापकार्न खाते हुए यह फिल्म आप देख ही नहीं सकते।