हकीकत को लिखने, में अक्षर कलम ठिठक जाती है। जब्त तो चाहिए ही सच को सच कहने का, गोदान वही सब है जो कल था लाचारी, बेबसी, भुखमरी और समाज के चंद लोगों के हाथ में आधी से अधिक दौलत । क्या आज सब कुछ बदला है ... गोदान में पड़ते हुए, बीते कल के साथ साथ आज के हालातों की भी झलक नज आती है ।
... पढ़िएगा जरूर.....