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प्रेम से बढ़कर
इस सृष्टि में कुछ भी नहीं,
वह निःस्वार्थ प्रेम
ईश्वर से भी हो सकता है,
किसी व्यक्ति से भी हो सकता है,
प्रकृति से हो सकता है
और
प्यारी-प्यारी
गऊमाताओं,
नन्दीबाबाओं,
उनके वंशजों समेत
समस्त मासूम जीवों से भी हो सकता है,
BE VEGETARIAN PLEASE 🐾 🙏 🐾