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इस बुक को पढ़ने के बाद लग रहा है पाकिस्तान जिन्ना ने नही सनातनियो ने बनाया है अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल बाबा तुलसीदास के लिए,,, बिल्कुल फूहड़ साम्प्रदायिक किताब हैं, हर जगह हिन्दू निशाना बनाया गया है।।,एकपक्षीय वामपंथी लेखक है👎👎👎👎👎😡😡