पिछले आधे घंटे से अपने मोबाईल पर फिल्म गुलाबो सिताबो देख रहा हूं, अभी तक तो ऐसी कोई ख़ास लगी नहीं मुझे लेकिन एक बात बड़ी अजीब है. फ़िल्म में अमिताभ बच्चन और आयुष्मान खुराना के अलावा एक और करैक्टर दिख रहा है, एक सफ़ेद फटी बनियान पहने, बेवकूफ सा दिखने वाला कोई अधेड़ उम्र का लड़का है, सिर्फ क्लोज उप ही दिख रहा है. मोदी जी के १५ लाख के इंतज़ार में थकी हुई आँखें, पेशानी पर दुनिया के ८०० करोड़ लोगो का टेंशन, और ऊपर से बच्चन साहब ने जैसा चश्मा पहना है, बिल्कुल वैसा ही चश्मा पहने, बम्बई की लोकल ट्रैन में जो ३५ रू का ईरफ़ोन मिलता है, वो लगाये हुए, एकटक कैमरा लुक देखे जा रहा है सामने, न तो कोई एक्सप्रेशन्स है उसके चेहरे पर, ना ही कोई डायलॉग बोल रहा है, बिल्कुल वुडन फेस। मुझे समझ नहीं आ रहा क्यों लिया होगा उसको शूजीत सरकार ने या फिर कास्टिंग वालो ने क्या सोचकर इसको सेलेक्ट किया होगा ? बिलकुल पोकर फेस, बीच में कभी कभी थोड़ा सा मुस्कुराता रहता है, और थोड़ा थोड़ा पहचान में भी अब आ रहा है ... एक सेकंड एक सेकंड, अरे, ये तो मैं खुद हूँ, यानी कि गरीबों का गुलशन ग्रोवर, बोले तो क्रिएटिवो कमाल ?
लेकिन मैंने तो ऐसी किसी फ़िल्म में काम नहीं किया? अच्छा अब समझ में आया, फ़िल्म को ऑथेंटिक फील देने के चक्कर में कैमरामैन ने इतना अंधेरा फैला रखा है सारे सीन में कि मेरा चेहरा ही ज़्यादातर दिख रहा है मोबाईल की स्क्रीन पर। थिस इस अबसोलूटली डिसगुसटिंग। WICA शुड रिजाइन। प्रिन्ट स्क्रीन यानी स्क्रीन शॉट में काश रिफ्लेक्शन भी आता तो पोस्ट करता।