बीर सावरकर राष्ट्र के एक सच्चे सपूत थे ।जिन्होने सच्चे मायने में देश के लिए त्याग किया तथा तरह-तरह की यातनायें सही और अंत में देश से बिदा लिए । हम कहेंगे कि वह देश के पहले सपूत थे स्वतंत्रता सेनानी थे ।उनके सम्मान में राष्ट्र का बड़ा से बड़ा सम्मान भी छोटा पड़ सकता है । आज बहत्तर साल से देश क्यों नहीं पाठशालाओं में एक प्रमुख स्थान दिया, बच्चो को नव युवकों को एक महान व्यक्तित्व से बंचित रखा । यह एक सवाल है, जो हमेशा सामने आता रहेगा ।