एक बहुत अच्छी, गंभीर और यथार्थपरक फ़िल्म। तीनों मुख्य स्त्री किरदारों का अभिनय बहुत ही उत्कृष्ट। खास तौर पर काजोल का। कुणाल कपूर का किरदार काफ़ी प्रभावशाली है। रेणुका शहाणे ने पटकथा और निर्देशन दोनों काम जिम्मेदारी से निभाए हैं। रेणुका शहाणे के लिए यह कहानी कुछ हद तक आत्मकथात्मक भी है।