बेतरतीब और जरूरत से ज्यादा एक्शन, हूड्डा का डिफरेंट लुक पर लगता ही नहीं की वो फिल्म में थे। स्टोरी बकवास की जगह अच्छी हो सकती थी अगर कुछ अलग अंदाज में पेश की जाती। और मनोज वाजपेयी एक गोली मारने के बाद किसका इंतजार कर रहे थे? जो हीरो 150 लोगों से अकेला लड़के भी सामने खड़ा है वो 3-4 गोली तो खा ही लेता। पता नहीं हिंदी फिलमों में एक्शन के दौरान इतनी बातें क्यों होती हैं। बकवास...सर में दर्द हो गया। 😏
मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी Tiger