मैंने तो देख ली कश्मीर फाइल्स... आप कब देखेंगे??? अगर नहीं देखेंगे तो आप भी उसी पाप के भागीदार हैं जो उस समय चुप रहे थे। ये फ़िल्म नहीं है, सच का दस्तावेज़ है। ये बात मैं एक पत्रकार और रिसर्चर होने के नाते बोल रहा हूँ। विवेक रंजन अग्निहोत्री मर्द का बच्चा है जिसने तथ्यों, तर्कों और सबूतों के साथ बताया है कि कश्मीर में हुआ हिंदुओं का नरसंहार इस्लाम और जेहाद के नाम पर किया गया था। भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली बार बिना किसी लाग-लपेट के सत्य बोला गया है। नहीं तो इसके पहले हमेशा हमें "रहीम चाचा सिंड्रोम" का ही शिकार बनाया गया है। अगर आज आप इस फ़िल्म का साथ नहीं देंगे तो आज के बाद कोई भी सच कहने, बताने और दिखाने की हिम्मत नहीं करेगा। क्यों... आखिर क्यों... कोई अकेला कब तक लड़ेगा??? क्या ये सिर्फ उन चंद लोगों की लड़ाई है जो अपना सब कुछ छोड़ कर सच बोलने की कोशिश कर रहे हैं??? बहुत आसान होता है इस दुनिया में मन की आवाज़ को दबा कर सुख से ज़िंदगी गुजारना। मैं आपकी सुख भरी जिंदगी में दखल देना नहीं चाहता। बस इतना कहना चाहता हूँ कि सोशल मीडिया पर बड़ी-बड़ी बातें करने से पहले ज़मीन पर आगे आयें। आपसे और कुछ नहीं चाहिये।