शैलेंद्र कुमार शर्मा की पुस्तक शब्द शक्ति संबंधी भारतीय और पाश्चात्य अवधारणा तथा हिंदी काव्यशास्त्र भारतीय काव्य चिंतन के प्रमुख पक्षों शब्द शक्ति एवं ध्वनि सिद्धांत पर केंद्रित है। शोध ज्ञात से अज्ञात दिशा या क्षेत्र में मान्य अर्जित उपलब्धि और स्थापनाओं का दूसरा नाम है। ऐसे प्रयास सारस्वत यात्रा में कुछ जोड़ते हैं। ऐसे विरल प्रबंधों में डॉ शैलेन्द्रकुमार शर्मा का ग्रंथ ‘शब्द शक्ति संबंधी भारतीय और पाश्चात्य अवधारणा तथा हिन्दी काव्यशास्त्र ’ एक उल्लेख्य प्रबंध है।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने भारतीय रस पद्धति और शब्द-शक्ति विवेचन को व्यावहारिक आलोचना के लिए सर्वोच्च उपकरण माना है। डॉ शैलेन्द्रकुमार शर्मा का यह प्रबंध इसी शब्द शक्ति के क्षेत्र का एक सार्थक प्रयास है। इस चुनौती भरे क्षेत्र में शोध करने का संकल्प लेना अपने आप में उल्लेख्य है। शोध का विषय है- ‘शब्द शक्ति संबंधी भारतीय और पाश्चात्य अवधारणा तथा हिंदी काव्यशास्त्र’। विषय अपने आप में पर्याप्त गुरु गंभीर है। विषय-विवेचन इन बिन्दुओं में विभाजित है- शक्ति और शब्द शक्ति विषयक भारतीय चिन्तन, भारतीय चिन्तन में अभिधा, लक्षणा, तात्पर्य तथा व्यंजना का विचार, साहित्यशास्त्र में शब्दशक्तिपरक विवेचन, पाश्चात्य भाषा विज्ञान और शब्द शक्ति, शैली विज्ञान और शब्द शक्ति, पौरस्त्य एवं पाश्चात्य चिन्तन में शब्दशक्तिपरक विवेचन का तुलनात्मक विश्लेषण, रचनाओं के संदर्भ में शब्दशक्ति संबंधी चिन्तन का उपयोग तथा उपसंहार। विवेचन के ये बिंदु विवेच्य की व्यापकता का आभास देते हैं। - आचार्य राममूर्ति त्रिपाठी (पुस्तक की भूमिका से)