मेरे जेसे छात्र जो आज के समय में साहित्य से जुडे हुए हैं.. उनमें एक प्रबल मानसिकता होती है की Wordsworth ओर shakespeare का साहित्य ही पढने योग्य है।ओर हम उन्हें साहित्यकारो को अपना idol बना लेते है।पर हमारी उसी भुल के कारन हमारा जोशी सर जेसे महान लेखकों से परीचय नहीं हो पाता। मुजेइस बात का आनंद है कि मे ये किताब पढ़ पाया ओर मे चाहुंगा के मेरे जेसे दुसरे ओर छात्र भी इस कीताब को पढे।
किताब पढने के बाद आपको भी
"जलेंबु" , "मारगाठ" , ओर "कशप " जैसे शब्दों से परीचय होगा!