फिल्म का सन्देश वाकई बहुत प्रासंगिक है। दो बातें - पहली, यह कि हम जो बनना चाहते हैं, कभी कभी हमारी क्षमताएं उससे एकदम अलग होती हैं और अंततः हम व हो जाते हैं, जैसी हमारी क्षमताएं हमें बना देती हैं। फिल्म "थ्री ईडियट्स" का "एक इडियट" "वाइल्ड लाइफ" फोटोग्राफर बनना चाहता था, किन्तु उसे जबरदस्ती इंजिनियर बनाने का प्रयास हो रहा था। यथार्थ जीवन में हमें ऐसे जीवंत किरदार ढेरों मिलेंगे।
दूसरे, एक जोकर का काम कितना अहम है, जो कि खुद पर हंसकर दुनिया को हंसाता है और अपनी निजी भावनाओं और इच्छाओं को बेमानी बनाता जाता है।