🙏🏻🌹शेर की दहाड़ थे, मराठा की शान थे,
संभाजी महाराज वीरों की पहचान थे।
शिवबाजी के सपनों का, वो उजला सा नूर,
जिनकी तलवार से काँपे, दुश्मन का हर क्रूर।
ज्ञान का भंडार थे, शास्त्रों के जानकार,
पराक्रम की गाथा के, अद्वितीय अवतार।
युद्धभूमि में गरजे, तो पर्वत भी हिले,
उनके साहस के आगे, बादल भी छिले।
कैद में भी झुके नहीं, सत्य को अपनाया,
हर यातना सहकर भी, धर्म नहीं छोड़ा साया।
जिंदगी से बढ़कर था, उन्हें मातृभूमि का मान,
इसलिए संभाजी का नाम, बना अमर बलिदान।
सलाम है उस वीर को, जो मरकर भी जिंदा है,
हर दिल में छत्रपति संभाजी, आज भी बसा है....✍️