1947 मे भारत पाकिस्तान के विभाजन के समय मेरी उम्र मात्र 6 वर्ष थी ।बचपन मे माता पिता व बड़े भाई साहब से सुनते थे कि किस प्रकार हम लोग लुटकर भारत आकर संघर्ष कर बड़े हुए। मात्र 18 साल 4 माह की आयु मे केंद्र सरकार शिक्षा विभाग में नौकरी पर लग गया था उस समय सन 1962 मे पुस्तकालय मे यशपाल जी द्वारा लिखित झूठा सच की प्रस्तावना पढकर कर बचपन मे सुनी बातें चलचित्र की तरह घूम गई । पूरी पुस्तक को पढने से अपने को रोक नही पाया व दोनो खंड लगातार पढकर पूर्ण किये नई पीढी को विभाजन व संघर्ष की पूरी जनकारी के लिए यह दोनो खंड अवश्य पढने चाहिए ।