अत्यधिक संतोष जनक है।
मेरे हृदय में पूर्णतः तो नहीं पर भक्ति, प्रेम और धर्म का बीज तो हृदय में स्थित हो गया है कली खिलने की देरी है।
नहीं पता कि मैं क्या हूं ये भी नहीं पता कि कभी धर्म के मार्ग में चल पाऊंगी या नहीं पर यह पता है कि जो भी होगा ईश्वर की इच्छा से होगा ।
धन्यवाद आपका जो महाभारत का इतना अच्छे से प्रस्तुत किया।
"धन्यवाद"