द्विवेदी जी की साहित्य सर्जना के विषय में क्या कहूं ?
समकालीन साहित्यकारों में उनका अवदान अप्रतिम है।
अपने लेखन में उन्होंने मनुष्य को केन्द्र में रखकर ही सार्वकालिक महत्त्व के प्रसंगों का विमोचन किया है। साहित्य में कबीर और नाथ संप्रदाय की गवेषणात्मक स्थापना उनकी
वैचारिक प्रौढता,सुदीर्घ अध्ययनॵर तथ्यात्मक गवेषणा का सुफल है।
एतदर्थ आपके सद्प्रयत्नों के लिए साधुवाद।
आनंद मिश्र