#kabirSingh
फ़िल्म कबीर सिंह मुझे एक दूजे के लिए, तेरे नाम और आशिक़ी 2 का मिक्सचर लगी। निश्चित रूप से शाहिद कपूर ने सनकी आशिक़ के रूप में कमाल काम किया है फिर भी मैं कबीर सिंह के चरित्र को समझ नहीं पाई। उड़ता पंजाब की तरह इस फ़िल्म को देखते हुए भी आप एक अजीब सी टेंशन में अपने आप को घिरा पाते हैं जो आपको कभी मुस्कुराने नहीं देती। फ़िल्म डार्क और टेंशन भरी है। शाहिद और उनके दोस्त शिवा को छोड़ कर कोई भी एक्टर प्रभाव नहीं छोड़ पाता है। फ़िल्म के कुछ गीत मधुर है। एडिटिंग टेबल पर फ़िल्म की लंबाई कम की जा सकती थी। फ़िल्म का अंत सुखद होने से कुछ राहत मिलती है।
अगर आपको गाली, मारपीट और किस सीन से भरी डार्क फिल्में पसन्द हैं तो आप फ़िल्म देख सकते हैं क्योंकि टीवी पर फ़िल्म को काफी काट छांट कर दिखाया जाएगा।
फ़िल्म में लगातार वार्निंग चलती है कि शराब और सिगरेट पीना सेहत के लिए हानिकारक है। बेहतर होता कि ये कैप्शन पूरी फिल्म में चिपका कर ही रख देते।.
3*
#parul