अवार्ड और रिवार्ड' पाने की चाह में विधु विनोद चोपड़ा ने एक बड़े मुद्दे को छोटी-सी लवस्टोरी में समेट दिया है. फिल्म शुरू भले ही कश्मीरी पंडितों के मुद्दे से होती है, लेकिन उनके साथ हुई बर्बरता, भेदभाव और गंभीर यातनाओं को बिना छुए निकल जाती है. शायद इसकी वजह ये है कि विधु किसी कोट्रोवर्सी में नहीं पड़ना चाहते. अगर आप ये सोचकर फिल्म देखने जा रहे है कि फिल्म में आपको कश्मीरी पंडितों की दर्दभरी और गंभीर दास्तां देखने को मिलेगी तो ये एक भ्रम मात्र है, फिल्म देखने पर लगता है कि तब सरकार, अब विधु के सिनेमा की शिकार हो गई है- ''शिकारा''.