मेरी पढ़ी हुई पुस्तकों में से ये मेरी कुछ पसंदीदा में से एक हैं ।वेगडजी ने नर्मदा नदी की परिक्रमा "सौन्दर्य की नदी नर्मदा "और "अमृतस्य नर्मदा " में समाहित की है ।जब वे घर आए थे तब मैंने उन्हें कहा था अंकल जी आप ने सच में परिक्रमा की पर हमने पुस्तक पढते हुए इतना जीवंत अनुभव किया, कि ऐसा लगा हम खुद ही परकम्मावासी है।इतनी जीवित पुस्तक पढना अपने आप में एक अनुभव है ।जिसे सिर्फ़ पढ़कर ही जाना जा सकता है ।