एक सुंदर साफ सुधरी फिल्म ,पारिवारिक नाटक के साथ मजेदार, रसेदार, एक ऐसी फिल्म जो आपके दिल और दिमाग में तो स्वाद रचती ही है साथ ही मुंह में भी चटकारा सा महसूस कराती है।
आजकल के फूहड़ हास्यों से बहुत दूर एक सुंदर हास्य का स्वाद दर्शकों में पैदा करती यह फिल्म ।
निर्देशन से लेकर अभिनय तक में आपके दिलों दिमाग में छोड़ती अपना असर । असल में फिल्म हो या खाना जब तक एक एक चीज संतुलित मात्रा में ना हो तो सही स्वाद नहीं बन सकता ।
हर किरदार ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया है ।
मेरे हिसाब से ये फिल्म उस वर्ग पर चोट करती है जो जीवन में आसान और छोटे रास्ते चुनते हैं जल्दी ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए ।
जबकि कठनाइयों से भरे लंबे रास्ते आपको जीवन का अनुभव भी देते हैं और एक मुकाम भी ।
और यही फिल्म का सार भी है ।
तो मैं तो कहूंगा कि जल्द से जल्द यह फिल्म देखें और वो भी थिएटर में जिससे हमारे देश की फिल्म इंडस्ट्रीज आगे बढ़े और इस तरह की ओर भी सुंदर फिल्म बनाते रहें ।
फिल्म के निर्देशक रोहित राज गोयल को बधाई और उनकी पूरी टीम को भी ढेर सारी शुभकामनाएं