धर्मवीर भारती की लिखी 'गुनाहों के देवता' उपन्यास एक ऐसी कहानी है जिसकी भाषा की सरलता के साथ किरदारों का चरित्र चित्रण इस तरह से किया गया है कि बिल्कुल मत्रमुंध कर दिया। इस उपन्यास ने इस तरह तक अंत तक बांधे रखा कि शब्द ही नहीं है। उपन्यास का हर एक शब्द, हर पन्ना अपने आप पर काफी भारी है। इस उपन्यास में जिस प्रेम का चित्रण किया गया है, उसकी गहराई का उन्हें कभी पता ही नहीं चलता। प्यार का इजहार किए बिना सुधा कैसे हर कुर्बानी देने में सक्षम हो गई और अपने कार्यों के माध्यम से इतना कुछ व्यक्त किया जो काबिले तारीफ है। चंदर वास्तव में एक भ्रमित और कमजोर व्यक्ति है जो प्यार के लिए समाज से लड़ने में विफल रहता है। लेकिन अंत में वह इस तरह साहस दिखाता है कि पढ़ने वाले को अंदर तक झकझोर देता है।