आज "रामबोला" अर्थात गोस्वामी तुलसीदास जी का प्राकट्य दिवस है। तुलसीदास जी के जीवन को समझना है तो अमृतलाल नागर द्वारा लिखे "मानस का हँस" उपन्यास से बेहतर कुछ हो ही नही सकता। गोस्वामी तुलसीदास के जीवन के एक एक छोटे प्रसंगों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया है। हालाँकि पुस्तक में रस और रुचि बनाये रखने के लिए कहीं कहीं तथ्यों और प्रसंगों में आंशिक प्रक्षिप्तता दृष्टिगोचर होती है परंतु तुलसी बाबा के जीवनवृत को पूर्णतया समझाता है ये उपन्यास। मेरा व्यक्तिगत अनुभव और सुझाव ये है कि 376 पृष्ठों की इस पुस्तक को ब्रेक ले कर पढ़ें..एक साथ पूरी पुस्तक पढ़ने पर सांसारिक मोहमाया से क्षणिक विरक्तता सी होने की संभावना होती है। पूरी पुस्तक पढ़ने पर आप को ये अनुभूति होगी की "रामबोला से गोस्वामी तुलसीदास" का सफर एक महान योगी,त्यागी,रामभक्त और साधक ही तय कर सकता है।
गोस्वामी तुलसीदास के प्राकट्य दिवस की आप सभी को शुभकामनाएं और गोस्वामी जी को नमन...