छपाक फिल्म एक ऐसे मध्यवर्गीय परिवार की बारहवीं की 19 वर्षीय छात्रा मालती अग्रवाल की कहानी है जिस के चेहरे पर उस परिवार के कपडे सीने वाला बशीर खान उर्फ बब्बु अपनी बहन से एसिड अटैक करवा कर उसकी पहचान खत्म कर देता है क्योंकि मालती की मित्रता राजेश से होती है जिसे बशीर खान उर्फ बब्बु सहन नहीं कर पाता। तथा इससे पहले मोबाइल पर उसे उसकी महत्वाकांक्षा को लेकर धमकी भरे लहजे में चेतावनी भी देता है।
मालती विकृत चेहरे के बावजूद एक ऐन जी ओ से जुडकर पुनर्जीवन की शुरुआत करती है तथा सैशन कोर्ट से बशीर खान व उसकी बहन को धारा 307 के तहत दस साल की कडी सजा सुनाई जाती है। जिसे हाईकोर्ट बरकरार रखती है।
मालती की PIL पर एसिड की खुलेआम बिक्री को रैगुलेट करने का हुक्म अदालत सुनाती है। परन्तु एसिड की खुलेआम बिक्री पर रोक लगवाने की कानूनी लडाई में मालती व उसकी ऐन जी ओ कामयाब नहीं होते। देश भर में साल में 200 से अधिक एसिड अटैक होते हैं। आखरी एसिड अटैक दिसंबर 2019 में भी हुआ है।
एसिड अटैक के प्रति समाज में जागरुकता लाने के उद्देश्य से बनी यह फिल्म साधुवाद की पात्र है।
इस फिल्म की नायिका व निर्माता है दीपिका पादुकोण जिसने फिल्म में कमाल का अभिनय किया है।
तथा निर्देशिका हैं मेघना गुलजार जिसने फिल्म को डाकुमैंटरी हरगिज नहीं बनने दिया।
कुल मिलाकर यह एक देखने योग्य अच्छी फिल्म है जो ताली बजाने के साथ साथ
गंभीर चिंतन पर मजबूर करती है।
I just give a big hand to actor producer Deepika Padukone & director Meghna Gulzar as well for such an excellent message conveyed to society through a glamorous commercial bollywood drama (film).