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नारी स्वतंत्रता, स्त्री के पुरूष पर निर्भरता को केवल आर्थिक बताते हुए लेखिका यह नहीं बता पायी की सफल व्यवसायी बनने के बाद भी वह चीन के बाजारों में घूमते हुए उन्हे डाक्टर साहब की यादें क्यूँ आयी जिनकी वो अन्या से अनन्या बननी थी।