इस फिल्म मे निर्माता ने कोशिश की है कि एक ऐसे घर के निवासियों के मानवीय अधिकार और धार्मिक अधिकार होते हैं जिनके परिवार का कोई सदस्य आतंकवादी है।
लेकिन इस फिल्म का निर्माता अनुभव सिन्हा उन बेकसुरू लोगों के मानव अधिकारों पर चुप्पी साध गया जो इन रेडिकल इस्लामिक आतंकवादियों के हमलों में मारे गये।