साहित्य-समाज-सिनेमा की त्रिवेणी में स्त्री केन्द्रित सिनेमा के यथार्थ पहलुओं के साथ सरहद के इस पार और उस पार के पारिवारिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, राजकीय और राष्ट्रीय मूल्यों को बेहद खूबसूरती के साथ फिल्म राज़ी में प्रस्तुत किया है| सांकेतिक संवाद भाषिक सौंदर्य के साथ प्रस्तुत हुए है| *********