कृष्णचंदर
बहुत ही गजब व्यंग्य लेखन, प्रथम तीन पन्नों को पढ़ते ही लेखक के बारे में जानने की इच्छा बलवती हो उठी और गूगल पर खोया पाया की भांति एक जिज्ञासु पाठक लग गया "एक गधे की आत्मकथा" के लेखक को ढूंढने.
पुस्तक में भूमिका और लेखक का परिचय न होना थोड़ा निराश जरूर करता है लेकिन तीन पन्नों पर उकेरे गए शब्द ही पूरी किताब में शानदार लेखकीय व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण का परिचय दे रहे हैं.....जल्द इसकी समीक्षा करने हेतु मन लालायित हो रहा है.
कलम चलेगी...कलम लिखेगी.