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यह एक काल्पनिक प्रदर्शन है। दीपा मेहता ने हर बार की तरह हिंदुओं को बुरी तरह से प्रदर्शित किया है। जिस संसार की कल्पना की गई है वह हिन्दू सभ्यता में कहीं भी स्वीकार योग्य नहीं है। हजारों साल का भारतीय इतिहास और संस्कृति इसकी गवाह है।