#MardKoDardNhiHota
चलो मान लिया कि मर्द को दर्द नही होता होगा (emphasising) , मगर ठंड लगती है बेंचों । - जाकिर खान
मगर अफसोस इस मर्द को न दर्द होता है , न ठंड लगती है , यह तो ट्रेलर देख कर भी पता लग गया था मगर इस बीमारी में ( नाम याद नही है फ़िल्म देखलेना ) हीरो को ना दुःख होता है , न सुख होता है , मतलब नो फीलिंग्स ।।
बहुत सही फ़िल्म है । एक्शन है , कॉमेडी है , कहानी है ठीकठाक सी , कलाकारों की बढ़िया एक्टिंग है , गुलशन देवहया शानदार लगे है जितना देखो उतना कम , ठीक रणवीर सिंह के किरदार " खिलजी " की तरह जिसने पदमावत में सारा क्रेडिट अपने नाम कर लिया था ।।
यह फ़िल्म टिपिकल फ़िल्म होते हुए भी टिपिकल नही है . Cliche है खूब सारा मगर खूब सारा नयापन पन भी है जहाँ हेरोइन के एक्शन सीन में बैकग्राउंड में पुराना गाना चल रहा है , जहाँ फ़िल्म का हीरो डेडपूल की तरह बैकग्राउंड में बड़बड़ करता रहता है , यह देसी डेडपूल है ।।
जरूर देखें एक बार तो ,ऐसी मूवी को प्यार तो खूब मिलता है मगर पैसा नही . तो कोशिश करना सिनेमा हॉल में देखो ।।
7.5/10 - Rating