If anyone reads The Godan. Definitely it changes the person.
गोदान पढ़ कर मैं इतना अशान्त महसूस कर रहा हूँ कि अब क्या कहूँ। मन चिंता में डूब गया हैं, आँखों के सामने होरी की विकट समस्याएं और इस स्थिति में भी बहादुर बनने का उसका अभिनय बार बार लगान की तरह आ रहा है।
कितना सुकून मिलता यदि मैं ब्राह्मण घर मे न जन्मा होता।