बहुत सुंदर। महिलाओं के लिये समानता समाज मे नहीं बल्कि दिमाग मे होने की जरूरत है। क्योंकि समाज मे तो वो पहले ही पुरुषों से बहुत आगे हैं।
सुंदर चित्रण, अच्छे अदाकार। अपनी मां के जैसी ही काबिलियत की कलाकार। तालियां त्रिपाठी जी के लिये भी जो तुलना से परे हैं।