जंगल के जुगनू, नाम पढ़ते ही मन मे ख्याल आता है कि जंगल जीवन, वन और जंगली पशु पक्षियों के बारे मे होगा, लेकिन इस बात मे थोड़ी ही सच्चाई है, इस उपन्यास मे जंगल भी है और जानवर भी, मगर जंगल cement से बना है और जानवर ख़ुद इन्सान बने है। मगर इस बीच ठीक वैसे ही जैसे पेड़ों की उस अंधेरी दुनियाँ मे रौशनी भरने का काम जुगनू करता, सहयोग भी मानव जाति के अन्धकारमय जीवन मे खुशियो के स्वर्णिम पन्ने जोड़ देता है उसमे प्रकाश भार देता है।
जीवन से हारे हो, अपनों से दूर हो, तो बस एक बार इस किताब को पाढ़ लो, जीवन जीने की राह बदल जाएगी।