तमस उपन्यास को पढ़कर लगा कि हमें आजादी किस कीमत पर मिली है। एक बार फिर से खुद को देखने और वर्तमान में जिस जगह पर हम खड़े हैं उसके पीछे कितने लोगों का त्याग और तपस्या है यह जानने को मिला।
एक बार फिर से हमें खुद को जानने की जरूरत है।
हिंदी साहित्य में अगर तमस नहीं पढ़ा तो एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपन्यास से वंचित रह गए हैं ऐसा लगता है।