मूवी बहुत अच्छी है इसमें कोई शक नहीं लेकिन हर पिक्चर में यही एक गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल दी जाती है कि जैसे इसमें दी गई है अब्दुल और कल्पना का प्यार क्या कभी किसी पिक्चर में यह भी दिखाएंगे की मुमताज और अजय का प्यार। क्या लड़की मुस्लिम लड़का हिंदू नहीं हो सकता ऐसा दिखाने में डर लगता है? दिखाने का दम है? तो दिखाओ! दूसरी बात हमें पत्रकार विनोद दुआ और रवीश कुमार जैसा नहीं चाहिए कतई नहीं चाहिए पत्रकारिता के नाम पर दोनों धब्बा हैं हमें सुधीर चौधरी रोहित सरदाना अंजना ओम कश्यप और रुबिका लियाकत जैसे पत्रकार चाहिए इस मूवी में मीडिया की सच्चाई दिखाई गई है।