ज़बरदस्त! ये फ़िल्म संघर्ष है; खाने का, पहचान का, शहर का, विभिन्नता का, उसमे रहने और एक दूसरे को सहने का और सबसे बढ़कर खुद को पहचानने और समझने का एक प्रवासी के तौर पर।
मुंबई शहर, कई संस्कृतियां को एक के ऊपर एक तह की तरह लपेटे हुए है। लेकिन दिल्ली पर हमेशा उत्तर भारतीयता और वहां की भाषा हावी रही। जबकि दोनों शहर किसी सराय से कम नही, बस वहां लंबे समय से रह रहे लोग ये भूल गए है।
ये फ़िल्म मूल निवासी से प्रवासी बनने की कहानी को एक दिन में बयां कर देती है।