इरफान के अवसान के बाद उनकी फिल्म ढूंढ ढूंढ के देख रहे हैं ।फ़िल्म समीक्षक की नज़र से फ़िल्म नहीं देखनी चाहिए यह मैं हमेशा से मानता हूं ।फ़िल्म mouth publicity से देखनी चाहिए या कलाकार से ।इरफान की ये फ़िल्म भी दिल को छूती है ।सहज अभिनय उनकी विशेषता थी ।पार्वती चकित करती हैं ।मनमोहक हैं । फ़िल्म देखी जानी चाहिए थी ।अब गलती सुधारी ।तनुजा चन्द्र कमाल की पकड़ रखती हैं । वो प्रीति जिंटा अक्षय कुमार वाली फिल्म भी लाजवाब थी(सॉरी नाम याद नहीं आ रहा है😊)। बेहतरीन फ़िल्म