21 सिख v/s 10000 पठान
आख़िर सच्चाई क्या है?????
Kesari के नाम से एक नई मूवी रिलीज़ हुई है।ये एक ऐतिहासिक फ़िल्म है।इसमें सारागढ़ी की मशहूर जंग दिखाई गई है।इसमें बताया गया है कि केवल 21 सीखों ने 10000 पठानों का मुक़ाबला किया था। हम इस बहादुरी को सलाम करें इससे पहले जान लेते हैं कि हक़ीक़त क्या कहती है???.
12 सितंबर 1897 को ओरकज़ई क़बीले के 8000 या 10000 पठान क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के क़ब्ज़े वाले सारागढ़ी पर हमला किया,जहां पर 36वीं सिख बटालियन के 21 सैनिक मौजूद थे। इन्होंने फ़ौरन पास के क़िले लॉकहार्ट में कर्नल हॉटन को इस हमले की ख़बर भेजी।कर्नल हॉटन ने सिखों को आदेश दिया कि अंग्रेजी मदद पहुंचने तक किसी तरह क्रांतिकारियों को रोके रखो।इधर पठानों ने सिख सैनिकों भारतीय होने का वास्ता देकर कहा कि "हमारी दुश्मनी अंग्रेजों से है !आप हमारे भाई हो हमारा साथ दो"! लेकिन सिखों ने इसके उलट क्रांतिकारियों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। इसके बावजूद क्रांतिकारी आगे बढ़ते रहे और क़िले तक पहुंचते पहुंचते 200 शहीद हुए।आख़िरकार पठानों ने क़िले की दीवारों को तोड़ डाला और ब्रिटिश साम्राज्य की पुश्त पनाही कर रहे ग़द्दारों को मौत के घाट उतार दिया।अगले दिन ब्रिटिश सेना की ज़बरदस्त कार्रवाई में क्रांतिकारी पठानों को दौबारा से क़िला छोड़ना पड़ा।जिसमें 600 शहीद हुए। बड़ा अफ़सोस होता है जब इतिहास को सांप्रदायिक नज़रिए से देखा जाता है। ब्रिटिश साम्राज्य के लिए अपने ही मुल्क के जांनिसारों को मौत के घाट उतारने वाले आज बहादुरी की मिसाल बना दिए गए।और अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लड़ने वालों को कमतर दिखाने की कोशिश की जा रही है।सिख बनाम पठान की जगह अगर ब्रिटिश सैनिक बनाम क्रांतिकारी होता तो मुझे यह सब लिखने की ज़रूरत ही ना पड़ती।
जय हिंद...