एक अच्छे विषय को धीमे स्क्रीन प्ले ने थोडा उबाऊ बनाया था परन्तु कहानी के मुख्य पात्रों के उम्रदराज व जवानी कि होस्टल लाईफ के गजब काम्बिनेशन ने फिल्म को बोझिल होने से बचाया है सहायक मित्र पात्र व शुशांत के बालक बने कलाकार ने अपने जोरदार अभिनय से फिल्म को सम्भाला है।